मेरी प्यारी माँ, Mother Day Special Poem in Hindi | Maa Par Kavita
1) ) Meri Pyari Maa Kavita for Kids
मेरी प्यारी माँ तू कितनी प्यारी है
जग है अंधियारा तू उजियारी है
शहद से मीठी हैं तेरी बातें
आशीष तेरा जैसे हो बरसातें
डांट तेरी है मिर्ची से तीखी
तुझ बिन ज़िंदगी है कुछ फीकी
तेरी आंखो में छलकते प्यार के आंसू
अब मैं तुझसे मिलने को भी तरसूं
माँ होती है भोरी भारी
सबसे सुन्दर प्यारी प्यारी
2) Short Mother Poem on Maa Ki Mamta
जन्म दात्री
ममता की पवित्र मूर्ति
रक्त कणो से अभिसिंचित कर
नव पुष्प खिलातीस्नेह निर्झर झरता
माँ की मृदु लोरी से
हर पल अंक से चिपटाए
उर्जा भरती प्राणो में
विकसित होती पंखुडिया
ममता की छावो मेंसब कुछ न्यौछावर
उस ममता की वेदी पर
जिसके
आँचल की साया में
हर सुख का सागर!-बृजेशकुमार शुक्ला
3) Meri Maa Poem in Hindi Characters
मेरे सर्वस्व की पहचान
अपने आँचल की दे छाँव
ममता की वो लोरी गाती
मेरे सपनों को सहलाती
गाती रहती, मुस्कराती जो
वो है मेरी माँ।प्यार समेटे सीने में जो
सागर सारा अश्कों में जो
हर आहट पर मुड़ आती जो
वो है मेरी माँ।दुख मेरे को समेट जाती
सुख की खुशबू बिखेर जाती
ममता की रस बरसाती जो
वो है मेरी माँ।4) Maa Poetry in Hindi Wordings
माँ आँखों से ओझल होती,
आँखें ढूँढ़ा करती रोती।
वो आँखों में स्वप्न सँजोती,
हर दम नींद में जगती सोती।वो मेरी आँखों की ज्योति,
मैं उसकी आँखों का मोती।
कितने आँचल रोज भिगोती,
वो फिर भी ना धीरज खोती।कहता घर मैं हूँ इकलौती,
दादी की मैं पहली पोती।
माँ की गोदी स्वर्ग मनौती,
क्या होता जो माँ ना होती।नहीं जरा भी हुई कटौती,
गंगा बन कर भरी कठौती।
बड़ी हुई मैं हँसती रोती,
आँख दिखाती जो हद खोती।शब्द नहीं माँ कैसी होती,
माँ तो बस माँ जैसी होती।
आज हूँ जो, वो कभी न होती,
मेरे संग जो माँ ना होती।।-गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’
5) Sad Maa Gajal from Son
शख्सियत, ए ‘लख्ते-जिगर’, कहला न सका ।
जन्नत.. के धनी पैर.. कभी सहला न सका ।दुध, पिलाया उसने छाती से निचोड़कर,
मैं ‘निकम्मा’, कभी 1 ग्लास पानी पिला न सका ।बुढापे का सहारा.. हूँ ‘अहसास’ दिला न सका
पेट पर सुलाने वाली को ‘मखमल, पर सुला न सका ।वो ‘भूखी’, सो गई ‘बहू’, के ‘डर’, से एकबार मांगकर,
मैं सुकुन.. के ‘दो, निवाले उसे खिला न सका ।नजरें उन बुढी, आंखों.. से कभी मिला न सका ।
वो दर्द, सहती रही में खटिया पर तिलमिला न सका ।जो हर रोज ममता, के रंग पहनाती रही मुझे,
उसे दीवाली पर दो जोड़, कपडे सिला न सका ।बिमार बिस्तर से उसे शिफा, दिला न सका ।
खर्च के डर से उसे बडे़ अस्पताल, ले जा न सका ।माँ के बेटा कहकर दम, तौडने बाद से अब तक सोच रहा हूँ,
दवाई, इतनी भी महंगी.. न थी के
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